दिन में दो बार दर्शन देकर, समुद्र की गोद में छुप जाता है भारत का ये अनोखा मंदिर

आजतक आप भगवान शिव के ऐसे मंदिर में गए होंगे जहां उनकी एक मूर्ती स्थापित है और श्रद्धालु उनकी सच्चे दिल से पूजा कर रहे होते हैं। लेकिन आपने कभी ऐसा मंदिर देखा है, जहां भगवान शिव पूरे दिन में केवल दो बार दर्शन देने के लिए आते हैं और पूरा मंदिर फिर जलमग्न हो जाता है? नहीं देखा? शायद आपको इस मंदिर के बारे में पता भी नहीं होगा, तो चलिए आज हम आपको इस मंदिर से रूबरू कराते हैं।स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर से लगभग 175 किमी दूर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में मौजूद है। अगर ट्रैफिक जाम न मिले तो आप गांधीनगर से इस जगह तक 4 घंटे में ड्राइव करके पहुंच सकते हैं। मंदिर 150 साल पुराना है, जो अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है। इस मंदिर की महिमा देखने के लिए आपको यहां सुबह से लेकर रात तक रुकना पड़ेगा।

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मंदिर बनवाने की ये थी वजह –

शिवपुराण के अनुसार, ताड़कासुर नाम के असुर ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से खुश कर दिया था, इसके बदले में शिव ने उसे मन चाहा वरदान दिया था। वरदान ये था कि उस असुर को शिव पुत्र के अलावा और कोई नहीं मार सकता था और पुत्र की आयु भी 6 दिन की ही होनी चाहिए। वरदान मिलने के बाद, ताड़कासुर ने हर तरफ लोगों को परेशान करना और उन्हें मारना शुरू कर दिया। ये सब देखकर देवताओं और ऋषि मुनियों ने शिव जी से उसका वध करने की प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना सुनने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय ने जन्म लिया। असुर का वध कार्तिकेय ने कर तो दिया, लेकिन शिव भक्त की जानकारी मिलने के बाद उन्हें बेहद दुख पहुंचा|कार्तिकेय को जब इस बात का एहसास हुआ, तो भगवान विष्णु ने उन्हें प्रायश्चित करने का मौका दिया। विष्णु भगवान ने उन्हें सुझाव दिया कि जहां उन्होंने असुर का वध किया है, वहां वो शिवलिंग की स्थापना करें। इस तरह इस मंदिर को बाद में स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।

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स्तम्भेश्वर महादेव क्यों डूब जाता है मंदिर में दो बार?

भले ही भारत में समुद्र के अंदर कई तीर्थस्थल हैं, लेकिन उनमें से ऐसा कोई मंदिर नहीं है जो पानी में पूरी तरह से डूब जाता है। लेकिन स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जो दिन में दो बार समुद्र में समा जाता है और इसी वजह से ये मंदिर इतना अनोखा है। इसके पीछे का कारण प्राकृतिक है, दरअसल पूरे दिन में समुद्र का स्तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर पूरी तरह से डूब जाता है और फिर पानी का स्तर कम होने के बाद ये मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है। ऐसा सुबह शाम दो बार होता है और लोगों द्वारा इसे शिव का अभिषेक माना जाता है।

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कवि कंबोई वडोदरा से लगभग 78 किमी दूर है। आप ट्रेन और बस से वडोदरा पहुँच सकते हैं। वडोदरा रेलवे स्टेशन कवि कंबोई के सबसे नजदीक है। कवि कंबोई वडोदरा, भरूच और भावनगर जैसे शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। वडोदरा से स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर के लिए आप प्राइवेट टैक्सी भी ले सकते हैंवडोदरा में देखने के लिए कई देखने लायक जगहें मौजूद हैं। सयाजी बाग वडोदरा संग्रहालय, सूरसागर तलाव और एमएस विश्वविद्यालय बेहद ही खूबसूरत जगह हैं, जिन्हें आपको गुजरात में एक बार जरूर देखना चाहिए। एल्युमिनियम शीट से बना यहां का ईएमई मंदिर (EME temple) भी एक अनोखा मंदिर माना जाता है।

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