सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना तो है ही, साथ ही साथ ज्योतिष में भी इसका विशेष महत्व होता है। ज्योतिष की मान्यताओं में ग्रहण की घटना को शुभ नहीं माना जाता है। वहीं धार्मिक दृष्टि से भी देखा जाए तो ग्रहण के वक्त पूजापाठ या फिर अन्य कोई शुभ कार्य करने को मना किया जाता है। इस साल का पहला ग्रहण 30 अप्रैल को शनिश्चरी अमावस्या पर लगने जा रहा है। आइए जानते हैं क्या होता है सूर्य ग्रहण और इस बार के ग्रहण की पूरी जानकारी।सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। नतीजतन, चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है, जिससे उसकी किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती हैं। इस पूरी घटना को सूर्य ग्रहण के नाम से जाना जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य का सामना करता है और सूर्य की किरणों को रोकता है। यह एक खगोलीय घटना है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जब आप अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए सूर्य ग्रहण देख रहे हों तो धूप का चश्मा, दूरबीन आदि पहनना चाहिए। 30 अप्रैल 2022 को लगने वाला सूर्यग्रहण एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो कि भारत में कहीं पर भी नजर नहीं आएगा।
ग्रहण का सूतक काल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के आरंभ होने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है। इस दौरान पूजापाठ के कार्यों की मनाही होती है और खाने-पीने पर भी कुछ रोक होती है। लेकिन 30 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। ऐसा माना जाता है कि सूतक केवल उन्हीं स्थानों के लिए माना जाता है, जहां ग्रहण दिखाई देता है। फिर भी जो लोग विदेश में रह रहे हैं और सूतक को मानते हैं तो उनके लिए बता दें कि ग्रहण से ठीक 12 घंटे पहले सूतक लग जाएगा और जो कि ग्रहण समाप्त होने तक रहता है। भारतीय समयानुसार ग्रहण 30 अप्रैल की रात को 12 बजकर 16 मिनट पर आरंभ होगा और सुबह के 4 बजकर 8 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इसका सूतक दोपहर के 12 बजकर 16 मिनट पर आरंभ हो जाएगा और ग्रहण के खत्म होने तक रहेगा।

कहां कहां दिखेगा यह ग्रहण
साल 2022 का पहला सूर्यग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। यह दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से, प्रशांत महासागर, अंटार्कटिका और अटलांटिक क्षेत्र में नजर आएगा। इन स्थानों पर रहने वाले लोगों के लिए सूतक काल मान्य होगा।
ग्रहण की समाप्ति के बाद शुद्धि का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। ग्रहण के बाद यदि आप गंगा नदी में स्नान करें तो यह बहुत ही फायदेमंद होता है और गंगा में स्नान कर पाना संभव न हो तो आप घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर भी नहा सकते हैं। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह माना जाता है कि ग्रहण के बाद वातावरण में कई प्रकार की अशुद्धियां और हानिकारक किरणें प्रवेश करती हैं और इनसे त्वचा के रोग होने की आशंका बनी रहती है। इसलिए ग्रहण के बाद स्नान करना बेहद जरूरी है।