शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या फिर शनि की महादशा हर व्यक्ति को जीवन में कम से कम एकबार इनका सामना करना पड़ता है। न्याय के देवता शनि हर किसी को कर्मों के हिसाब से शुभ और अशुभ प्रभाव देते हैं, जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल शनिदेव उसको देते हैं। साल 2021 में शनिदेव अपनी ही राशि मकर में भ्रमण करेंगे। 23 मई को मकर राशि में वक्री करेंगे और 11 अक्टूबर को फिर से मार्गी अवस्था में गोचर करेंगे। इसलिए धनु, मकर और कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा। वहीं मिथुन और तुला राशि वालों पर ढैय्या का प्रभाव बना रहेगा। आइए जानते हैं कि शनि की साढ़े साती से कब मुक्ति मिलेगी।
इन पर है शनि की साढ़ेसाती
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, शनिदेव जातक की जन्मराशि से प्रथम स्थान, द्वितीय स्थान और द्वादश में हों तो शनि की साढ़ेसाती कहलाती है। वहीं गोचर काल में शनिदेव जब राशि से चतुर्थ और अष्टम भाव में हों तो ढैय्या की स्थिति कहलाती है। शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं। इस वक्त धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण चल रहा है। मकर पर मध्य और कुंभ पर साढ़ेसाती का पहला चरण ही चल रहा है। मान्यता है कि शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण सबसे ज्यादा परेशानी देने वाला होता है। वहीं अपने अंतिम चरण में शनिदेव अपना आशीर्वाद और कुछ न कुछ देकर जरूर जाते हैं।
देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशि धनु पर साढ़ेसाती का आखिरी चरण चल रहा है। साल 2022 में इनको शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाएगी। 29 अप्रैल 2022 को शनि देव जब मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे, तब इस राशि से शनि का प्रकोप हट जाएगा। लेकिन 12 जुलाई 2022 को शनि वक्री चाल चलते हुए एक कुंभ राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जिससे 12 जुलाई से लेकर 17 जनवरी 2023 तक शनि थोड़ा परेशान कर सकते हैं क्योंकि मकर राशि में प्रवेश करने से शनिदेव की साढ़ेसाती का प्रभाव एकबार फिर आपके उपर पड़ने लगेगा। शनिदेव की साढ़ेसाती का प्रभाव 17 जनवरी 2023 को धनु राशि से पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

मकर राशि
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, मकर राशि में शनिदेव विराजमान हैं और इस राशि पर साढ़ेसाती का मध्य चरण चल रहा है। इस राशि के स्वामी खुद शनिदेव हैं। इस राशि को साढ़ेसाती से मुक्ति 29 मार्च 2025 में मिलेगी क्योंकि शनिदेव कुंभ राशि से निकल कर मीन राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे इस राशि से शनि का साढ़ेसाती का प्रभाव खत्म होगा। शनि के मध्य चरण में रहने से जातक के मान-सम्मान में वृद्धि होगी और स्थान परिवर्तन के भी योग बनेंगे।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, मकर की तरह कुंभ भी शनिदेव की राशि है और इस राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है। इस राशि को शनिदेव की महादशा से पूर्ण रूप से मुक्ति 23 फरवरी साल 2028 में मिलेगी।शास्त्रों में बताया गया है कि साढेसाती के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिए शनिश्चरी अमावस्या के दिन सायंकाल के समय शनि पूजन और जप करना शुभ फलदायी होता है। शनिदेव की पूजा हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके करें और पूजा करने के लिए काले कंबल पर बैठकर ही शनिदेव की पूजा करना अच्छा माना जाता है। वहीं शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करें और शाम के समय स्टील की कटोरी में सरसों के तेल का दीपक जलाकर रख दें। इससे पूजा का पूर्ण फल मिलता है।